पक्षपात का सटीक उद्धरण : KARNATAKA गवर्नमेंट ने सिर्फ मंदिरों पर लगाया TAX 

KARNATAKA govt TAX on temples

KARNATAKA में मंदिरों पर कर लगाने को लेकर सियासी विवाद उठ गया है। राज्य सरकार ने मंदिरों के आय के ऊपर 1 करोड़ रुपये से अधिक कमाने वाले मंदिरों पर 10 फीसदी सालाना TAX लगाने का निर्णय लिया है। इसके विपरीत, 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक के आय वाले मंदिरों को 5 फीसदी का TAX भुगतान करना होगा। राज्य के मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने इसे कांग्रेस सरकार की ओर से लगाए गए जजिया के रूप में बताया है, जबकि राज्य भाजपा के कुछ नेताओं ने इसे मंदिरों पर चौथ वूसली जैसा क्रूर और असामाजिक  कदम बताया है। यह उस पक्षपाती कानून के तहत लागू किया गया है, जिसमें बाकी धरम स्थल (मस्जिद,चर्च) को छोरके सिर्फ मंदिरों की आय पर कर लगाने का प्रावधान है। चौथ वूसली 16वीं सदी के उत्तरी भारत में मुगल साम्राज्य द्वारा लगाए गए एक निरंतर कर का नाम है, जिसमें हिन्दू महाराजाओं को उनकी आय का चौथा हिस्सा मुगल साम्राज्य को देना पड़ता था।

पहले ही स्पष्ट कर लें कि KARNATAKA की मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सरकार ने राज्य के मंदिरों पर 5 और 10 फीसदी कर किस कानून के तहत लगाया है। इसकी मूल धारा को KARNATAKA सरकार ने विधेयक के रूप में विधानसभा में पारित कराया है। यह नया विधेयक KARNATAKA में राजनीतिक विवाद का कारण बन गया है। राज्य सरकार ने बुधवार को ‘हिंदू धार्मिक संस्थाएं और धर्मार्थ बंदोबस्ती विधेयक 2024’ को विधानसभा में पारित किया। बीजेपी ने KARNATAKA में सत्ताधारी दल पर मंदिरों के धन से अपना ‘खाली खजाना’ भरने का आरोप लगाया है। KARNATAKA के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इन आरोपों को असत्य ठहराया है।

क्‍या है मंदिरों पर टैक्‍स लगाने का मकसद

राज्य सरकार ने बताया कि उन्हें साझा योगदान वाले कोष की राशि बढ़ाने, विश्‍व हिंदू मंदिर वास्तुकला व मूर्तिकला में कुशल व्यक्तियों को प्रबंधन समिति में शामिल करने, तथा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा के लिए मंदिरों व बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए जिला तथा राज्य स्तरीय समितियों का गठन करना जरूरी था। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता राजीव चंद्रशेखर ने KARNATAKA विधानसभा में पारित विधेयक के माध्यम से राज्य की कांग्रेस सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि ऐसा करके राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एक नये निचले स्तर तक गिर गई है। यह घटना दिखाती है कि कांग्रेस प्रत्येक बार नए निचले स्तर तक गिरने का नया उदाहरण प्रस्तुत करती है।

सिद्धारमैया ने बीजेपी पर किया पलटवार

KARNATAKA के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि भाजपा नेताओं के आरोप बेतुका हैं और उन्हें जनता को गुमराह करने और राजनीतिक लाभ के लिए सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि 1997 में अधिनियम के बाद से हमेशा सामान्य पूल बनाने का आदेश दिया गया है, जो केवल हिंदू धर्म से जुड़े धार्मिक उद्देश्यों के लिए है। विधेयक का उद्देश्य है कि ए कैटेगरी के मंदिरों के अधिकार क्षेत्र में तीर्थयात्रियों को बेहतर सुविधाएं और सुरक्षा प्रदान की जाएं। इस बारे में परिवहन और हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती मंत्री रामलिंगा रेड्डी ने कहा कि यह प्रावधान 2003 से प्रभावी है।

मंदिर राजस्‍व को लेकर क्‍या है व्‍यवस्‍था

रेड्डी ने बताया कि 2011 में भाजपा सरकार ने अधिनियम में संशोधन किया था ताकि ज्यादा आय वाले मंदिरों से राजस्व जुटा सके। उन्होंने बताया कि 1 मई 2023 को KARNATAKA हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम 1997 को लागू किया गया था। KARNATAKA में ‘सी’ श्रेणी में 3,000 मंदिर हैं, जिनकी सालाना आय 5 लाख रुपये से कम है। इन मंदिरों को कोई पैसा नहीं दिया जाता है। धार्मिक परिषद तीर्थयात्रियों के लिए मंदिर प्रबंधन में सुधार करने वाली समिति है। दूसरी ओर, 5 लाख से 25 लाख रुपये तक की आय वाले मंदिर बी-कैटेगरी में आते हैं, और उनकी 5 फीसदी आय 2003 से ही धार्मिक परिषद को मिलती है। अब, 10 लाख रुपये तक की आय वाले मंदिरों को धार्मिक परिषद को भुगतान में छूट दे दी गई है।

चौथ वसूली क्‍या है, इसे कौन वसूलता था

चौथ एक शुल्क था जो केवल मराठा राजवाड़ों में जमा किया जाता था। यह मराठा अधिकार के दावे वाली जमीनों पर लगाया जाता था। सरदेशमुखी भूमि राजस्व था, जिसे मराठा सेना से बचाने के लिए उन्हें भुगतान किया जाता था। चौथ वसूली का अर्थ था कि एक चौथाई राजस्व जमा किया जाए। सरदेशमुखी के तहत, भूमि राजस्व का 10 फीसदी वसूला जाता था। चौथ को हिंदू या मुस्लिम शासकों द्वारा मराठों को खुश करने के लिए दिया जाता था, ताकि वे उनके क्षेत्रों में उपद्रव न उत्पन्न करें। मराठों का दावा था कि इस भुगतान के बदले में वे उन क्षेत्रों को बाहरी हमलों से बचाते थे

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top