ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध: एक प्रगतिशील  दृष्टिकोण

ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध

ताजिकिस्तान, एक मुस्लिम बहुल देश, जो अपने धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करता है, ताजिकिस्तान ने हाल ही में एक  प्रगतिशील और विकासशील कदम उठाया है जो की तजाकिस्तान की महिलाओं को नए अवसरों की और अग्रसर करेगा । ताजिक सरकार ने आधिकारिक रूप से हिजाब पहनने, आयात करने, बेचने और विज्ञापन करने पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह प्रतिबंध एक विस्तृत अभियान का हिस्सा है जिसका उद्देश्य ताजिक संस्कृति को संरक्षित करना और हिजाब जैसे एक धकियानूसी और कुंठित परंपरा को कम करना है।

सरकार का औचित्य और पृष्ठभूमि

ताजिकिस्तान की सरकार ने अपने फैसले का औचित्य यह दिया है कि हिजाब और अन्य इस्लामी परिधान “ताजिक संस्कृति में  विदेशी” हैं। संस्कृति मंत्री शम्सिद्दीन ओरोमबेकजोदा ने कहा कि हिजाब पहनने वाली महिलाएं समाज में एक असहजता पैदा करती हैं और उन्हें “कुछ छिपाने” के रूप में देखा जाता है। यह बयान सरकार की इस धारणा को उजागर करता है कि इस्लामी परिधान आतंकवाद और उग्रवाद के प्रतीक हो सकते हैं ,और विगत समय के कुछ घटनाये इस कथन को शाबित करता है ।

सामाजिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएं

इस निर्णय ने ताजिक समाज में व्यापक बहस को जन्म दिया है। देश के विभिन्न हिस्सों से महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए हैं कि कैसे वे अपनी धार्मिक मान्यताओं और पेशेवर आकांक्षाओं के बीच संतुलन बनाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। कई महिलाओं को अपनी नौकरियों या शिक्षा को बनाए रखने के लिए हिजाब छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है। 

दुशांबे की एक निवासी, मुनीरा शाहिदी ने बताया, “यह महत्वपूर्ण है कि हमें अपने कपड़े चुनने की स्वतंत्रता हो। हमें कानून की जरूरत नहीं होनी चाहिए जो हमें बताए कि हमें क्या पहनना है”। इस प्रकार की प्रतिक्रियाएं यह दर्शाती हैं कि सरकार के इस कदम का समाज के कुछ हिस्सों में तीव्र विरोध है।

हिजाब पर प्रतिबंध का विस्तारित प्रभाव

यह प्रतिबंध केवल हिजाब तक सीमित नहीं है। ताजिकिस्तान की सरकार ने 2018 में एक गाइडबुक जारी की थी जिसमें “स्वीकृत” परिधानों के रंग, आकार, लंबाई और सामग्री का विवरण दिया गया था। इस गाइडबुक का उद्देश्य ताजिक राष्ट्रीय पोशाक को बढ़ावा देना और इस्लामी परिधान को हतोत्साहित करना था।

इसके अलावा, ताजिकिस्तान ने दाढ़ी पर भी अनौपचारिक प्रतिबंध लगाया है। पिछले दशक में, हजारों पुरुषों को पुलिस द्वारा जबरन दाढ़ी मुंडवाने के लिए मजबूर किया गया है। यह प्रतिबंध न केवल धार्मिक अभिव्यक्ति को दबाने के लिए है, बल्कि सरकार की यह धारणा भी दर्शाता है कि लंबी दाढ़ी भी उग्रवाद का प्रतीक हो सकती है।

सरकार का रुख और भविष्य की चुनौतियां

ताजिकिस्तान की संसद ने “परंपराओं और उत्सवों” पर कानून में संशोधन किया है जो “ताजिक संस्कृति के विदेशी कपड़ों” पर प्रतिबंध लगाता है। इस कानून के तहत हिजाब पहनने, आयात करने, बेचने और विज्ञापन करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। व्यक्तियों पर $740 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है जबकि कानूनी संस्थाओं पर $5400 तक का जुर्माना हो सकता है। सरकारी अधिकारियों और धार्मिक नेताओं पर इन जुर्मानों से भी अधिक जुर्माना लगाया जा सकता है।

निष्कर्ष

ताजिकिस्तान का हिजाब प्रतिबंध न केवल धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात करता है बल्कि एक समाज में सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को पुनः परिभाषित करने का प्रयास करता है। यह कदम ताजिकिस्तान की धर्मनिरपेक्षता को मजबूत करने के प्रयास के रूप में देखा जा सकता है, लेकिन यह देश की मुस्लिम आबादी के एक बड़े हिस्से की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाता है। इस प्रकार के प्रतिबंधों से समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक विभाजन बढ़ सकता है और यह ताजिकिस्तान के समग्र सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकता है।

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