AI और DEEPFAKE: भारत में प्रतिबंध

DEEPFAKE क्या है?

DEEPFAKE एक ऐसी तकनीक है जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग का उपयोग करके वास्तविक व्यक्ति की छवि या आवाज़ को किसी अन्य व्यक्ति के साथ बदल दिया जाता है। यह तकनीक विशेष रूप से जनरेटिव एडवर्सेरियल नेटवर्क्स (GANs) का उपयोग करती है, जो इसे बहुत ही सटीक और यथार्थवादी बनाती है। DEEPFAKE तकनीक का उपयोग मनोरंजन, शिक्षा, कला, और सक्रियता में किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ ही यह गंभीर नैतिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना भी कराती है, जैसे कि गलत समाचार फैलाना, निजता का उल्लंघन करना और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाना।

DEEPFAKE का उपयोग

फिल्म डबिंग: DEEPFAKE तकनीक का उपयोग विभिन्न भाषाओं में बोलने वाले अभिनेताओं के लिए वास्तविक दिखने वाले लिप-सिंकिंग के लिए किया जा सकता है, जिससे फिल्में अधिक सुलभ और immersive बन जाती हैं।

शिक्षा: यह तकनीक शिक्षकों को ऐतिहासिक व्यक्तियों को कक्षा में जीवंत करने या विभिन्न परिदृश्यों के इंटरेक्टिव सिमुलेशन बनाने में मदद कर सकती है।

कला: कलाकार DEEPFAKE का उपयोग अपने आप को व्यक्त करने, विभिन्न शैलियों के साथ प्रयोग करने, या अन्य कलाकारों के साथ सहयोग करने के लिए एक रचनात्मक उपकरण के रूप में कर सकते हैं।

DEEPFAKE के लाभ और हानि

लाभ:

  1. मनोरंजन उद्योग में क्रांति: फिल्में और टीवी शो में विशेष प्रभावों को और भी यथार्थवादी बनाया जा सकता है।
  2. शिक्षा और प्रशिक्षण: DEEPFAKE का उपयोग वर्चुअल ट्रेनिंग में किया जा सकता है, जहाँ प्रशिक्षक की उपस्थिति का अनुभव दिलाया जा सकता है।

हानि:

  1. फर्जी समाचार और गलत सूचना: DEEPFAKE तकनीक का उपयोग करके गलत जानकारी फैलाना आसान हो जाता है।
  2. व्यक्तिगत गोपनीयता का उल्लंघन: DEEPFAKE का उपयोग कर किसी की पहचान का दुरुपयोग किया जा सकता है।

DEEPFAKE के खतरों से निपटने की आवश्यकता

DEEPFAKE का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे इसके खतरे भी बढ़ रहे हैं। इससे न केवल व्यक्तिगत और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरा होता है, बल्कि विश्वासघात और अशांति भी पैदा होती है। 2020 में, अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की अध्यक्ष नैन्सी पेलोसी का एक DEEPFAKE वीडियो वायरल हुआ, जिसने बताया कि DEEPFAKE को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में क्रिकेट के प्रसिद्ध खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर का एक DEEPFAKE वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे एक ऑनलाइन गेमिंग ऐप का समर्थन करते हुए दिखाए गए थे।

 भारत सरकार का कदम

भारत सरकार ने DEEPFAKE की बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए कठोर कार्रवाई करने का फैसला किया है। केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि नए सूचना प्रौद्योगिकी नियमों में DEEPFAKE बनाने वाले और बेचने वाले लोगों को फर्जीवाड़ा करार देंगे। इन नियमों के अनुसार, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गलत सामग्री पोस्ट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

 नए नियम और उनकी महत्वपूर्ण बातें

1. कानूनी उत्तरदायित्व: नए नियमों ने DEEPFAKE सामग्री के निर्माताओं और वितरकों को स्पष्ट कानूनी उत्तरदायित्व दे दिया है।

2: शिकायत प्रणाली: पीड़ितों को न्याय दिलाने और अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने के लिए एक सफल शिकायत प्रणाली बनाई जाएगी।

3. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का उत्तरदायित्व: DEEPFAKE सामग्री को पहचानने, हटाने और रोकने की अधिक जिम्मेदारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को दी जाएगी। यदि वे इन नियमों का पालन नहीं करते, तो भी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

4. फर्जीवाड़े के खिलाफ सख्त कार्रवाई: सरकार ने कहा कि DEEPFAKE के माध्यम से धोखाधड़ी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और इन नियमों का पालन नहीं करने वाले प्लेटफार्मों को ब्लॉक किया जा सकता है।

DEEPFAKE के भविष्य की चुनौतियाँ

भविष्य में DEEPFAKE तकनीक का उपयोग और भी बढ़ सकता है, जिससे इसके खतरों का स्तर भी बढ़ सकता है। इसलिए, भारत सरकार का यह कदम न केवल वर्तमान समस्याओं को हल करेगा, बल्कि भविष्य में होने वाली चुनौतियों के लिए भी एक मजबूत बुनियाद तैयार करेगा।

निष्कर्ष

DEEPFAKE तकनीक का दुरुपयोग समाज और व्यक्ति के लिए खतरनाक है, लेकिन यह मनोरंजन और रचनात्मकता के नए क्षेत्र भी खोलता है। भारत सरकार द्वारा इस पर सख्त नियम बनाने का निर्णय स्वागत योग्य है, जो समाज को इन खतरों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस कदम से उम्मीद की जा सकती है कि DEEPFAKE तकनीक का उपयोग जिम्मेदारी से किया जाएगा और इसका दुरुपयोग प्रभावी तरीके से रोका जाएगा।

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