शुद्धता और न्याय के प्रति भरोसा बनाए रखने के लिए, भारत सरकार ने न्यायिक प्रणाली में सुधार की दिशा में कदम उठाने का एलान किया है CLEA-Commonwealth Attorneys & Solicitors General Conference (CAGSC-24) के उत्सव समापन समारोह में गृह मंत्री अमित शाह ने यह घोषणा की कि न्याय को 19वीं सदी के कानूनों के साथ सेवा नहीं किया जा सकता है।
भारत की यातायात, ताकत, और विकास के सफल पथ पर आगे बढ़ते हुए, गृह मंत्री ने सुझाव दिया कि न्यायिक प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “आज के माहौल को देखते हुए, मुझे यह मानना है कि न्यायपालिका को भी बदलना होगा। सीमा-पार की चुनौतियों के दृष्टिकोण से, न्याय की पूरी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना होगा। हम 21वीं सदी में 19वीं के कानूनों के साथ न्याय नहीं कर सकते हैं।”
उन्होंने सोलिसिटर जनरल और कानून मंत्री द्वारा उल्लेख की गई तीन कानूनों पर भी ध्यान दिया और कहा कि इन तीनों कानूनों के पूरे अमल के बाद, भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली दुनिया की सबसे आधुनिक आपराधिक न्याय प्रणाली बन जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि इन कानूनों के पूरे होने के बाद न्यायिक प्रक्रिया में नए सुधार होंगे जो सुनिश्चित करेंगे कि न्याय से विराट चुनौतियों का सामना किया जा सके।
गृह मंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि सीएजीएससी-24 का यह समापन समारोह एक महत्वपूर्ण क्षण है, जिसने विभिन्न क्षेत्रों के वकीलों, अधिकारियों, और न्यायिक अधिकारियों को एक साथ आने का एक अद्वितीय अवसर प्रदान किया। इस अवसर पर उन्होंने सम्मानित व्यक्तियों को सम्मानित किया और उनके योगदान की सराहना की।
इस मौके पर गृह मंत्री ने आपराधिक न्याय प्रणाली के साथ जुड़े नए नीतियों की आवश्यकता को बताते हुए कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी न्यायिक प्रणाली अगले सदी की मांगों को पूरा कर सके और उसमें विश्वसनीयता और तेजी से समस्याओं का समाधान कर सके।”
सीएजीएससी-24 में भारतीय न्यायिक प्रणाली की मजबूती को बढ़ावा देने के लिए गृह मंत्री ने इस मुहिम का समर्थन किया और न्यायिक स्थिति को सुधारने के लिए उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों को भी आवंटित करने का सुझाव दिया।
गृह मंत्री ने यह भी दिखाया कि उन्हें विकास की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प है और उन्होंने न्यायिक प्रणाली को मौद्रिक और आधुनिक बनाने के लिए इस दिशा में कदम उठाया है।
आपराधिक न्याय प्रणाली में परिवर्तन की यह घोषणा भारतीय समाज के लिए एक बड़ी सूचना है, जिससे सामाजिक और न्यायिक सुरक्षा में सुधार हो सकता है। गृह मंत्री अमित शाह द्वारा की गई इस घोषणा से साफ होता है कि सरकार न्यायिक प्रणाली को मजबूत और सुरक्षित बनाने के लिए पूरी तरह से समर्थ है।
साथ ही, उन्होंने सीएजीएससी-24 के माध्यम से भारतीय न्यायिक प्रणाली को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मजबूत बनाने का सुझाव दिया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत न्यायिक प्रणाली को विश्व में मान्यता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक कदम उठा रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर यहां के न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाए रखने के लिए पूरी तरह से समर्थ है।
इस घड़ी में, गृह मंत्री ने सामाजिक और न्यायिक सुरक्षा के मामले में सरकार के संकल्प को पुनः साबित किया है और भारत को एक सशक्त न्यायिक प्रणाली की आवश्यकता है, जो विभिन्न चुनौतियों का सामना कर सके। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार न्यायिक प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए सकारात्मक कदम उठा रही है और अपने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए संपूर्ण तरह से समर्थ है।समाप्त करने पर, गृह मंत्री अमित शाह ने उज्जवल भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने का संकल्प किया है और उन्होंने न्यायिक प्रणाली को मौद्रिक और आधुनिक बनाने के लिए कठिनाइयों का सामना करने का आशीर्वाद दिया है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार ने यह दृढ़ निश्चय किया है कि भारत की न्यायिक प्रणाली विश्वसनीय, सुरक्षित, और सुदृढ़ बनी रहे।